tag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post2318981610446708105..comments2023-11-25T00:59:00.677+14:00Comments on चौराहा: इस सदी की निहायत अश्लील कविताचण्डीदत्त शुक्ल-8824696345http://www.blogger.com/profile/07464479436953603553noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-63217992767806325282020-04-24T20:25:56.717+14:002020-04-24T20:25:56.717+14:00तुमको सहवास पसंद हैतुमको सहवास पसंद हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11411605037990681450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-1222574122926390192020-04-24T20:25:35.771+14:002020-04-24T20:25:35.771+14:00तुमको सहवास पसंद हैतुमको सहवास पसंद हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11411605037990681450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-26111902922652194872016-11-24T04:34:52.691+14:002016-11-24T04:34:52.691+14:00हिलाते युवाओं का वो हाथ नही दीखता
खटिये पर हसीनाओ...हिलाते युवाओं का वो हाथ नही दीखता <br />खटिये पर हसीनाओं का साथ नही दीखता<br />अरमान दबाये रखे है सब अंतः वस्त्रों में<br />आज कल जांघो के बीच वो आघात नही दीखता।।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11365739865989203022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-34312353378602948352013-04-30T00:40:03.418+14:002013-04-30T00:40:03.418+14:00सच कहो तो कोई भी अलग लेबल लगा देता है..सच कहो तो कोई भी अलग लेबल लगा देता है..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-50566788243611279462012-12-03T01:52:27.044+14:002012-12-03T01:52:27.044+14:00सोना हेडेन के टिसू-पेपरों से अश्लील नहीं है-
सोना...सोना हेडेन के टिसू-पेपरों से अश्लील नहीं है-<br /><br />सोना सोना बबकना, पेपर टिसू मरोड़ । <br /> बना नाम आदर्श अब, अहं पुरुष का तोड़ ।<br /><br />अहं पुरुष का तोड़, आज की सीधी धारा ।<br />भजते भक्त करोड़, भिगोकर कैसा मारा ।<br /><br />हैडन कर हर भजन, भरो परसाद भगोना ।<br />पेपर टिसू अनेक, मांगते मंहगा सोना ।। रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-41099103477111339362012-12-02T20:31:39.102+14:002012-12-02T20:31:39.102+14:00तब
वह क्यों हैं इस कदर आपकी आंख में अश्लील?
वाज़िब...तब<br />वह क्यों हैं इस कदर आपकी आंख में अश्लील?<br /><br />वाज़िब प्रश्नvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-24584081500921124772012-12-02T19:41:43.533+14:002012-12-02T19:41:43.533+14:00क्या बात है लगता है पाठक बिना कमेन्ट किये निकल रहे...क्या बात है लगता है पाठक बिना कमेन्ट किये निकल रहे है।SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-36153831802181146052012-12-02T18:43:50.681+14:002012-12-02T18:43:50.681+14:00अच्छी कविता है. कहीं ये पलक ने तो नहीं लिखी जिसके ...अच्छी कविता है. कहीं ये पलक ने तो नहीं लिखी जिसके तुम कभी मुरीद थे.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-17612510047665956892012-12-02T03:31:15.885+14:002012-12-02T03:31:15.885+14:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
दो दिनों से नेट नहीं चल रहा...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />दो दिनों से नेट नहीं चल रहा था। इसलिए कहीं कमेंट करने भी नहीं जा सका। आज नेट की स्पीड ठीक आ गई और रविवार के लिए चर्चा भी शैड्यूल हो गई।<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (2-12-2012) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच-1060 (प्रथा की व्यथा)</a> पर भी होगी!<br />सूचनार्थ...!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com