tag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post6953704544818389748..comments2023-11-25T00:59:00.677+14:00Comments on चौराहा: गूगल बज़ से साभारचण्डीदत्त शुक्ल-8824696345http://www.blogger.com/profile/07464479436953603553noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-7656006893781511142010-07-08T16:44:22.919+14:002010-07-08T16:44:22.919+14:00बरसती थीं जब अथाह तुम / समेटे रहा अपनी अंजुरी मैं ...बरसती थीं जब अथाह तुम / समेटे रहा अपनी अंजुरी मैं / तरसता हूं अब एक बूंद की छुअन को / मन पठार में कितनी प्यास समेटे..<br />वाह बहुत अच्छी लगी सभी पँक्तियां मगर ये दिल को छू गयीं। आभार।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7793152972586917066.post-20583320016976870602010-07-08T06:09:21.238+14:002010-07-08T06:09:21.238+14:00बहुत बढ़िया!
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अच्छा लगा देखकर!बहुत बढ़िया!<br />--<br />अच्छा लगा देखकर!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com