मेरा दिल है तू, ज़िगर भी तू...तू ही ज़िंदगी की सुबो-शाम है
तू यकीं जो कर तो कहूं ये मैं, मेरे लब पे तेरा ही नाम है
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वो जानते हैं नहीं कि ये आशिकी भी क्या चीज है...
जो दिल मिले, तो तख्त क्या, सारी दुनिया ही नाचीज़ है
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अब आ भी जा, न बन संगदिल...
बग़ैर तिरे सूनी है दिल की महफ़िल
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पत्थर हैं, उनकी हिम्मत है क्या जो आशिकी की राह में रोड़ा बनें...
तू देख हमारी चाहतों की आग के आगे दम उनका निकल जाएगा
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शब-ए-ग़म का बोझ उठाके भी यारों हम जिए जाते हैं ...
जो अश्क मोहब्बत में मिले हैं, उन्हें हंसके पिए जाते हैं
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जो पागल हुए, तो तू कहा...बस तेरी रहगुज़र की आरज़ू
होश आने का सबब नहीं, मन में है इंतज़ार की जुस्तजू
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दीवानगी मुझ पे यूं कहर ढाएगी ये सोचा ना था,
तू मेरी राह से होके गुज़र जाएगी ये सोचा ना था
aji itani divangi bhi achhi nahi vese bahut khoobsurat rachna hai bdhai
ReplyDeleteMaar hi daaloge..!! :-)
ReplyDeleteवो जानते हैं नहीं कि ये आशिकी भी क्या चीज है...
ReplyDeleteजो दिल मिले, तो तख्त क्या, सारी दुनिया ही नाचीज़ है
अच्छे है सब शेर.....ये कुछ ख़ास लगा ....शुक्रिया
कमाल कर दिया आपने ...
ReplyDeleteआपने तो वाकई दिल से लिखा है
ReplyDeleteऔर बताएं क्या हो रहा है
gajhab sir jee...shayri kmaal hai
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