कितनी मुश्किल, कितने कंटक खड़े करेगा दुश्मन
हर बाधा हम दूर करेंगे, जीतेगा ये जीवन
माटी अपनी फौलादी है, जज्बा अपना इस्पाती
मिट जाएंगे पर नहीं झुकेंगे, देश है अपनी थाती
उजड़ी कोखें, सूनी मांगें, बहनों के पसरे हाथ
करें सवाल यही वो हरदम, कब होगा इंसाफ़
नापाक पड़ोसी होश में आए, आंखें अपनी खुली हुईं
रक्षा की खातिर न्योछावर कर देंगे ये तन-मन...
kavita ko kahani ki tarah kyon likha gaya hai?
ReplyDeleteOjasvi kavita hai....
ReplyDeleteMaadhurya se bhari kavitayein koibhi likh deta hai... ye likhna sach mein mushkil hai.
:)
आपने सही कहा चंडीदा। आतंकवादी लाख कोशिश कर लें, पर हमारे जज्बे के सामने उनकी दाल नहीं गलेगी।
ReplyDeleteअच्छी कविता है,पर अन्दर से उपजी हुई नहीं,...आपकी पुरानी रचनाओं से बहुत अलग....पुरानी रचनाएं बेहतर थीं.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है. आतंकियों के नापाक इरादे कभी भी सफल नहीं हो सकते.
ReplyDeletevery well said :)
ReplyDeletebahut badiya likha hai bas tukbandi ki kami hai
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