जीन-बुशर्ट पहने लड़के-लड़कियां / जब-जब खटखटाते की-पैड / स्क्रीन पर उभरते कुछ हर्फ / 160 कैरेक्टर्स से / क्या बुनते थे वो / नहीं समझ पाया / मैं / जब तक नहीं आया था / तुम्हारा / एक औपचारिक लघु-संदेश / सुबह का सलाम पल्लू में बांधकर / अब जानता हूं / तकनीक के राग में भी / गुनगुनाते हैं / प्रेम के परिंदे / कबूतरों की गुटरगूं के बिना भी / तभी तो / अब जब भी / मैं तुम्हें एसएमएस करता हूं / और जवाब नहीं मिलता / तो लिखता हूं.../ एक रिप्लाई तो बनता है यार / मज़ेदार बात/ फिर भी नहीं मिला रिप्लाई!!!! शायद / कबूतर हो गए पथ-भ्रष्ट / और चोंच में दबाए खत / हो गए / फुर्र.....
kabutar ho gaye path-bhrashta ... :)
ReplyDeletekabutaron per vishvaas karne ki sadi gayi...!!!
Achha likha hai :)!
WAAH...BAHUT BADHIYA....
ReplyDeleteSHIRSHAK LAJAWAAB RAKHA HAI AAPNE...
IJHAAR CHAHE SMS SE HO YA KHATON SE...PYAAR TO PYAAR HI HOTA HAI...KABOOTAR YA MOBILE SE KOI BHI FARK NAHI PADTA...
एक बार फिर खास शुक्ल अंदाज !!!!!!
ReplyDeleteबात तो सही है जी!
ReplyDeleteकबूतर पथभ्रष्ट नहीं हैं.. रफ्तार के इस दौर में वक्त की कमी है.. और इमोशंस तो आप भूल ही जाईये.. बेहतरीन रचना है...
ReplyDeletevey nice,...
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