Friday, February 12, 2010

अपने ही गर्भ में छिपा लो…सिखा दो…अभेद्य मंत्र


अनजाने चेहरों वाली / सीमाओं से पार / भाषाओं से इतर / कई तस्वीरें / देखीं / सुनीं / पहली-पहली बार / तुम्हारे ही संग / उनमें बसा प्रेम / उभरा तब तुम्हारी आंख से / छलका हमारे होंठों तक / आज फिर / गया उसी दौर में / पर अबूझ रह गए / वो चित्र / जड़ हैं नायक / स्थिर नायिकाएं / ना वहां युद्ध था / ना प्रेम / था तो बस / एक अटूट एकांत / सन्नाटा / जिसे चीर पाना / नहीं मुमकिन / मेरे लिए / बिना तुम्हारे / अब अपने ही गर्भ में / छिपा लो / जन्म देने से पहले / सिखा देना / अवाक् हो जाने के / चक्रव्यूह से निकलने का / अभेद्य मंत्र

5 comments:

  1. जन्म देने से पहले / सिखा देना / अवाक् हो जाने के / चक्रव्यूह से निकलने का / अभेद्य मंत्र.nice

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  2. आपने जो ब्लॉग में लिखा है वो पढ़ा नहीं जा रहा..text का कलर बदल दीजिए...

    ना वहां युद्ध था / ना प्रेम / था तो बस / एक अटूट एकांत / सन्नाटा

    खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  3. बड़ी गहन अभिव्यक्ति है...सोचने को विवश करती हुई....

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  4. महा-शिवरात्रि पर्व की बहुत बहुत बधाई .......

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  5. मैं पढ नहीं पा रही हूँ
    लेकिन पढना चाहती हूँ...

    text का कलर बदल दीजिए..

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