कौन-सी थी वो ज़ुबान / जो तुम्हारे कंधे उचकाते ही / बन जाती थी / मेरी भाषा / अब क्यों नहीं खुलती / होंठों की सिलाई / कितने ही रटे गए ग्रंथ / नहीं उचार पाते / सिर्फ तीन शब्द

मुसाफ़िर...

Monday, October 13, 2008

तेज रफ्तार सिनेमा जैसा साहित्य : चेतन भगत

चौराहा के पाठकों के लिए एक और पोस्ट जागरण.कॉम से साभार...हालांकि लिखी ये भी मैंने ही है...


बदन पर जींस और टी-शर्ट, आंखों पर गॉगल्स और हाथ में चेतन भगत की ताजा किताब..ये नजारा आप कनॉट प्लेस में टहलते वक्त या मेट्रो में सफर करते हुए देख सकते हैं। यकीनन न्यूयार्क टाइम्स की जुबान में भारतीय इतिहास में सर्वाधिक बिकने वाले उपन्यासकार चेतन भगत युवाओं के पसंदीदा लेखक बन चुके हैं। उनके उपन्यासों की कथा और बुनावट बहुत हद तक फिल्मी है और प्रारंभ का अंदाज भी। शुरुआत अक्सर फ्लैशबैक के साथ होती है। किशोरवय और कई बार युवावस्था का प्रेम, चुंबन, रतिदृश्य और छिटपुट हिंसा..उनके उपन्यासों के फार्मूले-मसाले हैं। चेतन तेजरफ्तार क्लाइमेक्स बुनते हैं, जिनके बाद हैप्पी एंडिंग होती है।

नई खबर ये है कि अब तक अंग्रेजी में हॉटकेक बने रहे चेतन भगत की फिलवक्त तक रिलीज तीनों किताबें हिंदी में भी उपलब्ध हो गई हैं। प्रभात प्रकाशन ने चेतन की दो किताबें- 5 प्वाइंट समवन और वन नाइट @ कॉल सेंटर का हिंदी अनुवाद प्रकाशित किया है, जबकि डायमंड पॉकेट बुक्स ने द 3 मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ का रूपांतरण पेश किया है।

वन नाइट @ कॉल सेंटर वही किताब है जिस पर बनी फिल्म हेलो हाल में ही रिलीज हुई है और साथ में फ्लॉप भी। ये गुडगांव के एक कॉल सेंटर में काम करने वालों की एक रात की कहानी है जिसका अंत तेजरफ्तार क्लाइमेक्स और भगवान की फोन कॉल के साथ होता है। इसमें फ्लर्ट, डेटिंग और चौराहे पर चुंबन के दृश्य हैं, जो यकीनन युवाओं को लुभा लेते हैं।

फाइव प्वाइंट समवन में आईआईटी, पवई के तीन छात्रों की कथा सुनाई गई है। यहां रैगिंग, स्वप्न और संघर्ष का मिश्रण मिलता है। चेतन की सबसे ताजा किताब द 3 मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ में पाठक अहमदाबाद के तीन दोस्तों से परिचित हो पाते हैं। ये दोस्त बहुत-सी उम्मीदों के साथ अहमदाबाद में मौजूद हैं, जहां दंगे होते हैं। इन सबके बीच हम एक छोटे-से बच्चे और उभरते क्रिकेटर अली को दंगाइयों से बचाने की कोशिशों का नजारा भी कर पाते हैं।

चेतन की कृतियों को कोई न कोई सूत्रधार पेश करता है। 3 मिस्टेक्स.. में ये जिम्मेदारी उपन्यास के नायक गोविंद ने संभाली है। इस कृति में चेतन अपने जाने-पहचाने मसालों के साथ हाजिर होते हैं, लेकिन इनके साथ राजनीतिक चेतना की झलक भी है जिसमें गोधरा और धर्मनिरपेक्षता को लेकर लेखक ने कुछ कहने की कोशिश की है।

चेतन की खासियत है उनकी सहज-सरल भाषा। किसी कृति का अनुवाद करते वक्त मूल लेखक की भाषा को बचाए-बनाए रखना बडी जिम्मेदारी बन जाती है। कुशल है कि तीनों कृतियों के अनुवादक इसे संजोए रख सके हैं। तेजरफ्तार हिंदी फिल्म की तरह बुने गए ये उपन्यास अंग्रेजी की तरह हिंदी में सराहे जाएंगे या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा।

पुस्तक : द 3 मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ
लेखक संपादक: चेतन भगत
प्रकाशक: डायमंड पॉकेट बुक्स प्रा. लि
समीक्षक: चण्डीदत्त शुक्ल

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