कौन-सी थी वो ज़ुबान / जो तुम्हारे कंधे उचकाते ही / बन जाती थी / मेरी भाषा / अब क्यों नहीं खुलती / होंठों की सिलाई / कितने ही रटे गए ग्रंथ / नहीं उचार पाते / सिर्फ तीन शब्द

मुसाफ़िर...

Saturday, January 8, 2011

सियासत और सेक्स का कॉकटेल-1

 सेक्स का कॉकटेल देश के तीन माननीय विधायक आरोपों के घेरे में हैं। एक यौन शोषण की तोहमत ङोलते हुए जान से हाथ धो बैठे, दूसरे बता रहे हैं-मैं नपुंसक हूं, रेप कैसे करूंगा और तीसरे पर लगा है किडनैपिंग का चार्ज। दुहाई है-दुहाई है..



ये महामहिम हैं, माननीय विधायक जी हैं, इनके दम से ही लोकतंत्र ज़िंदा है। पचास बरस से भी ज्यादा बूढ़ी हो चुकी मुल्क की आज़ादी ने हमें यही बात सिखाई है, लेकिन हाय रे राम, दुहाई है-दुहाई है..लोकतंत्र के रखवालों पर यह कैसी शामत आई है?दो दिन पहले बिहार में भाजपा विधायक राज किशोरी केसरी को एक महिला टीचर ने चाकू मारकर हलाल कर डाला, तो बुधवार को यूपी के एक एमएलए दुहाई देते नज़र आए। प्रेसवालों से कहने लगे—साहब, मैं तो नपुंसक हूं। भला रेप कैसे कर सकता हूं? बात यहीं खत्म नहीं होती। लोकतंत्र के रखवाले तमाम हैं, उनके किस्से भी हज़ार हैं। ऐसे-कैसे ख़त्म हो जाएं। बुधवार को ही सुल्तानपुर के एमएलए अनूप संडा पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपनी प्रेमिका की बेटी को किडनैप करा लिया है..। वाह रे एमएलए साहब, आपको तो पब्लिक ने चुना था इसलिए, ताकि आप सड़कें बनवाएं, पुल बनवाएं, इन्क्रोचमेंट हटवाएं, बिजली-पानी मुहैया कराएं और यह तो आपका क्या हाल हो रहा है? आरोपों की सफ़ाई देते-देते हलकान हो रहे हैं..ये क्या हो रहा है आपके साथ?चलिए, सुन लेते हैं सियासत और सेक्स के कॉकटेल की ताज़ातरीन टॉप थ्री स्टोरीज़—पहले बात दिवंगत भाजपा विधायक राज किशोरी केसरी की। दो दिन पहले पूर्णिया के एक स्कूल की प्रिंसिपल रुपम पाठक ने चाकू मारकर उनकी जान ले ली थी। उसका आरोप था कि विधायक जी यौन शोषण कर रहे थे और शिकायत करने पर पुलिस कोई सुनवाई नहीं कर रही है। अब लालूप्रसाद जैसे बड़े नेता इस हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। पूर्णिया के उप महानिरीक्षक अमित कुमार कह रहे हैं कि आरोपी का कैरेक्टर संदिग्ध था। ..और विधायक जी तो अब रहे नहीं, लेकिन उनके चरित्र पर जाते-जाते जितने धब्बे लग चुके हैं, उनकी सफाई कौन देगा? बिहार के भाजपा विधायक के बाद अब यूपी में बांदा के बीएसपी विधायक पुरुषोत्तम द्विवेदी की बात। उन पर एक नाबालिग लड़की को बंधक बनाकर रेप करने का आरोप लगा है। फिलहाल, द्विवेदी जी कह रहे हैं कि वो नपुंसक हैं। उनका दावा है—मेरे ऊपर दुष्कर्म का आरोप आधारहीन है। मैं बलात्कार करने में समर्थ नहीं हूं। उन्होंने तो ये भी कह डाला है कि जो मैं ये बात साबित करने के लिए किसी भी मेडिकल स्पेशलिस्ट से जांच कराने के लिए तैयार हूं। और चलते-चलते सुन लीजिए सुल्तानपुर (यूपी) के सदर विधायक अनूप संडा जी से। संडा पर उन्हीं के शहर की एक महिला समरीन ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और विधायक ने उस पर ब्लैकमेलिंग का। दोनों के खिलाफ मुकदम चल रहे हैं। समरीन जेल भी काट चुकी है। चंद रोज पहले उसके ब्यूटी पार्लर पर कुछ लोगों ने हमला किया था। इससे पहले समरीन ने भी विधायक के पेट्रोल पंप पर तोड़-फोड़ की थी और अब बुधवार को समरीन की ओर से आरोप लगाया गया है कि उसकी मासूम बेटी को विधायक के इशारे पर अगवा कर लिया गया है। इन सब विधायकों (केसरी तो रहे नहीं, सो उनके समर्थकों) का कहना है कि आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। सच क्या है, न्यायपालिका तय करेगी। हम तो यही कहेंगे—सियासत और सेक्स के इस कॉकटेल में कुछ तो काला है और वो इतना काला है कि लोकतंत्र की अस्मिता पर, उसके चेहरे पर शर्म की कालिख पुतती ही जा रही है।

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