कौन-सी थी वो ज़ुबान / जो तुम्हारे कंधे उचकाते ही / बन जाती थी / मेरी भाषा / अब क्यों नहीं खुलती / होंठों की सिलाई / कितने ही रटे गए ग्रंथ / नहीं उचार पाते / सिर्फ तीन शब्द
मुसाफ़िर...
Sunday, July 26, 2009
चैटिंग में चीटिंग!
गाजियाबाद निवासी शबनम मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है। पिछले कुछ दिनों से वह खासी परेशान थी। उसने बताया, 'मेरे साथ बड़ा धोखा हुआ है। दरअसल मैं अकसर किसी न किसी चैटरूम में दोस्तों की तलाश में लगी रहती हूं। एक दिन जयपुर के एक तथाकथित 25 वर्षीय युवक महेंद्र ने मुझे संदेश भेजा, 'मुझसे दोस्ती करोगी?' इसके बाद हमारे बीच संदेशों के आदान-प्रदान का सिलसिला शुरू हो गया। आखिरकार उस महेंद्र का जो अंतिम मैसेज आया, वह चौंकाने वाला था, 'मैं दरअसल 67 साल का बुजुर्ग हूं। मेरे घर में पत्नी, बेटे-बहू और पोते सब हैं। मैं तो समय गुजारने के लिए तुमसे बातें करता था।'
यह एकदम सही है कि ज्ञान का भंडार कहे जाने वाले इंटरनेट का इस्तेमाल न सिर्फकठिन है, बल्कि कई बार 'यूजर' को धोखाधड़ी का सामना भी करना पड़ता है। चैटिंग में तो ऐसा अकसर होता है। पिछले दिनों 'ऑरकुट' तथा ऐसी ही कुछ अन्य सोशल नेटवर्किग वेबसाइट्स को लेकर खासा हंगामा मचा था, जिनके अंतर्गत देह व्यापार में कुछ युवतियों के नाम डिस्प्ले किए गए थे। आप धोखा न खाएं, इसके लिए इन बातों का खयाल रखें :
1. चैटिंग करते समय कभी भी पर्सनल या ऑफिशियल आईडी का उपयोग न करें।
2. चैट रूम में व्यक्तिगत जानकारियां देने से बचें। पता व फोन नंबर भूलकर भी न दें।
3. किसी से भी आपत्तिजनक बातचीत न करें।
4. रेडिफ, एमएसएन और याहू के अलावा, फ्रेंड तथा सोशल नेटवर्क व प्रोफाइल के जरिए भी कई लोग संपर्क साधते हैं, उनसे बातचीत न करें। चूंकि चैटरूम पासवर्ड प्रोटेक्टेड होते हैं, इसलिए चीटिंग करने वाले बेफिक्र होते हैं कि कोई उनके बारे में नहीं जान पाएगा। इसी तरह साइबर अपराधों के मामले में कानूनी व्याख्या तो हो गई है, लेकिन इनसे आम लोग परिचित नहीं हैं। ऐसे में सतर्कता ही आपका बचाव है। यदि आपके पास धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी हो, तो पुलिस को सूचित करें।
चैटरूम में ऑनलाइन पार्टनर या ट्रेडिंग के विकल्प न तलाशें। यहां आपके साथ कभी भी धोखाधड़ी हो सकती है। कोई आपका अकाउंट या क्रेडिट कार्ड नंबर जानकर उसका दुरुपयोग कर सकता है। नाइजीरिया की कुछ कंपनियां अकसर लोगों को लुभावने ई-मेल भेजती हैं। इनमें कुछ उत्पादों की बिक्री करने तथा उनके बदले में भुगतान का प्रस्ताव होता है। यही नहीं, कुछ दिन में आपके पास अग्रिम पेमेंट के रूप में चेक भी आ जाता है। चेक क्लियर होने में तो बीस दिन से तीन माह तक का समय लगता है और बाद में 100 फीसदी मामलों में चेक या तो बाउंस हो जाता है, या फिर नकली निकलता है। लेन-देन के समय दूसरी पार्टी की पहचान सुनिश्चित कर लें। वेबसाइट से ़खरीदारी करते समय आपके क्रेडिट कार्ड का नंबर तथा पता व ई-मेल एड्रेस में सतर्कता रखें। ऐसी हालत में 'प्राइवेसी पॉलिसी' पढ़ लें, ताकि आपकी जानकारियां और लोगों तक न भेज दी जाएं। उसी वेबसाइट पर कारोबार करें, जिनमें 'लॉक आइकन' बना हो, क्योंकि ये साइट जाली नहीं होतीं, न ही इन्हें 'हैक' किया जा सकता है। इंटरनेट पर की गई खरीदारी का लिखित ब्योरा भी जरूर रखें, ताकि आपके पास प्रमाण रहें। क्रेडिट कार्ड से भुगतान करते समय 'वेरीसाइन' सरीखे अधिकृत पेमेंट गेटवे का ही चयन करें। इस तरह आपके कार्ड की गोपनीयता और रकम, दोनों सुरक्षित रहेंगी।
और अंत में सबसे जरूरी बात, जब भी चैटिंग करें या इंटरनेट पर कोई साइट खोलें, तो उसे ठीक ढंग से लॉगआउट कर दें, ताकि बाद में उस कंप्यूटर पर बैठने वाला यूजर आपके अकॉउंट को एक्सेस न कर पाए।
(सिलिकॉन कंप्यूवेयर सोल्यूशंस के सीईओ और आईटी सिक्योरिटी विशेषज्ञ सुभांशु प्रधान से बातचीत पर आधारित)
दैनिक जागरण की पत्रिका सखी में प्रकाशित
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1 comment:
बढिया जानकारी
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