कल
बहुत अरसे बाद
जब राह में धुंध
गहरी हो रही थी
और-और ज़्यादा
तब यकायक
गाढ़ी रात
तब्दील हो गई
ताज़ा सुबह में
तुम फुसफुसाईं
पागल हो?
समझते ही नहीं
मैं तुमसे प्यार करती हूं
ठहर गई सांस
थर्रा गया मैं
पूरा का पूरा
अपने वज़ूद के साथ...
तुम्हारी घृणा
तेज़ाब बन
तैरने लगी
जख़्मों के निशानों तक
सिमटने लगा मैं
अहसास-ए-क़मतरी के साथ
तभी फिर हिले तुम्हारे लब
क्या सोचते हो?
मुझे चूम नहीं सकते अब
और आंखें देखने लगीं
वो सुबहें
खुली क़िताबों के पन्नों पर उभरी इबारतें
और यकायक दरख्त से उतर आईं गिलहरियां
चुगने लगीं हाथ से मूंगफलियां
उंगलियों के पोर
हो गए गीले
चुंबन की नमी से
सिर झटककर कहा मैंने
घृणा के बाज़ार में
अपेक्षा और उपेक्षा के सौदे
और नहीं, अब और नहीं...
हाथ बढ़ाकर समेट ली
अपनी ठंडी हथेली में
मैंने तुम्हारी मुस्कान की गुनगुनाहट
वादा रहा
अब कभी कालिख ना दूंगा
उठी अगर सीने में
तो निकालूंगा
और लगा दूंगा
तुम्हारी पलकों के नीचे
काजल की तरह
तुम भी रख लो
मुझे अपने गुलदस्ते में
मुरझाने ना दो
चाहत के ये फूल
17 comments:
marmsparshi panktiyan hain ..bahut sunder.
दिल को छूने वाली रचना गणत्न्त्र दिवस की शुभकामनायें
Dil chura liya aapne...kahan se late hain aisi nayab cheejein?
वाह! वाह! वाह! इसके सिवा और क्या कहा जाये समझ नही आता...खूबसूरत रचना।
पता नहीं आप कैसे इतनी संवेदनशीलता और ईमानदारी से इतना गहरा लिख लेते हैं.....आज तक कभी नहीं लिखा..निशब्द....पर आज आपकी रचना ने सचमुच निशब्द कर दिया.
तुम भी रख लो
मुझे अपने गुलदस्ते में
मुरझाने ना दो
चाहत के ये फूल
-दिल को छू गई भाई यह रचना..वाह!
gilhariyon ka haathon se mungfali khana bhi pyaar ka sandesh deta hua sa lagta hai...
style n bhaav dono hi sunder hain :)
ka bhaiya! kuchh gadbad hai, aaj kal bahut sringar ras fhoot raha hai.vaise is kadkadati thand mein pyar ka tadaka swadyukt hai.likhte rahiye.kam se kam thand ko bhi ahsas to hona hi chahiye ki chandi dutt ji thand ka poora maja le rahe hain.
क्या खूब नजाकत और नफासत वाली बात की है शुक्ला जी ... प्यार को क्या खूब जगह
बक्शी है आपने ... संवेदनशीलता की मिशाल तक पहुंचा दिया आपने
बधाई
अर्श
सुन्दर रचना!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
bahut hi gahan abhivyakti.
विजय विश्व तिरंगा प्यारा ,झंडा ऊँचा रहे हमारा
गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाए*
बढ़िया प्रस्तुति.. बधाई !
प्रकाम्या
प्रेम को कैसे सहेजा जाये दिखला दिया………शानदार्।
Komal si masoom si panktiyan
दिल को छोटी रचना...
सादर...
तुम भी रख लो
मुझे अपने गुलदस्ते में
मुरझाने ना दो
चाहत के ये फूल
सुन्दर रचना आभार
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