कौन-सी थी वो ज़ुबान / जो तुम्हारे कंधे उचकाते ही / बन जाती थी / मेरी भाषा / अब क्यों नहीं खुलती / होंठों की सिलाई / कितने ही रटे गए ग्रंथ / नहीं उचार पाते / सिर्फ तीन शब्द

मुसाफ़िर...

Tuesday, February 23, 2010

काश...हम होते...उंगलियां एक हाथ की!


काश! तुम होते
गर्म चाय से लबालब कप
हर लम्हा निकलती तुम्हारे अरमानों की भाप...
दिल होता मिठास से भरा
काश!
मैं होती
तुम्हारी आंख पर चढ़ा चश्मा..
सोचो, वो भाप बार-बार धुंधला देती तुम्हारी नज़र
काश! मैं होती रुमाल...
और तुम पोंछते उससे आंख...
हौले-से ठहर जाती पलक के पास कहीं
झुंझलाते तुम...
काश, होती जीभ मैं तुम्हारी
गोल होकर फूंक देती...आंख में...।
काश,
हम दोनों होते एक ही हाथ में
उंगलियां बनकर साथ-साथ
रहते हरदम संग,
वही
गर्म चाय से लबालब कप पकड़ते हुए
छू लेते एक-दूसरे को, सहला लेते...
काश, मैं होती तेज़ हवा,
उड़ाती अपने संग धूल
बंद हो जाती सबकी नज़र, पल भर को ही सही
जब तुम छूते मुझे
कोई देख भी ना पाता...

16 comments:

shikha varshney said...

purkashish kavita...shandar

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

आकाँक्षा गर्ग ( Akanksha Garg ) said...

bahut hi khoobsurat rachna behad bhav purn

अविनाश वाचस्पति said...

चौराहे पर बत्‍ती तो लगवा लें
चण्‍डीभाई
या पढ़नी होगी दिल से
दिल से लिखी कविता सुंदर।

rashmi ravija said...

क्या बात है...बड़ी रूमानी कविता लिखी है....फगुनाहट का कमाल है है...वसंत का पूरा असर दिख रहा है...:)

rashmi ravija said...

क्या बात है...बड़ी रूमानी कविता लिखी है....फगुनाहट का कमाल है...वसंत का पूरा असर दिख रहा है...:)

Udan Tashtari said...

वाह! बहुत सुन्दर और उम्दा भाव!

दिगम्बर नासवा said...

खूबसूरत भाव लिए रूमानी कविता ...

निर्मला कपिला said...

बहुत खूबसूरत रुमानी कविता बधाई

Alpana Verma said...

ख्वाहिशें..ख्वाहिशें... जब पूरी नहीं होती तो यूँ ही सपने बन जाती हैं.
बहुत सुंदर!

विवेक said...

अच्छी कविता...

Unknown said...

pandit ji aapki sabhi khwaishen poori ho rahi hai...kavita jandar hai... romantik hai....

अबयज़ ख़ान said...

वाह भाई.. प्यार का ये भी बेहद खूबसूरत रूप है... बेहतरीन है..
होली की ढेर सारी शुभकामनाएं

Unknown said...

कहाँ हो ?अंगुलियाँ चूम लूँ

"अर्श" said...

रूमानियत की संजीदगी से सजी खुबसूरत रचना ... आनंद आगया पढ़ कर ... बहुत खुबसूरत बात कही है आपने ... आभार...


अर्श

alka mishra said...

क्या कल्पना है !!!
इश्वर आपको अगले जनम में अर्धनारीश्वर बनाए.....